संपादकीय

दूषित जल नियंत्रण के लिए जिला स्तर हुआ मैजिक पिट, सिल्ट चेंबर और लीच पिट पर दी गई विस्तृत जानकारी ।

दूषित जल नियंत्रण के लिए जिला स्तर हुआ मैजिक पिट, सिल्ट चेंबर और लीच पिट पर दी गई विस्तृत जानकारी ।

IMG-20251210-WA0010 दूषित जल नियंत्रण के लिए जिला स्तर हुआ मैजिक पिट, सिल्ट चेंबर और लीच पिट पर दी गई विस्तृत जानकारी ।दूषित जल नियंत्रण के लिए जिला स्तर हुआ मैजिक पिट, सिल्ट चेंबर और लीच पिट पर दी गई विस्तृत जानकारी ।

 

एमसीबी/10 दिसंबर 2025/ जिले में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत ग्रे वाटर प्रबंधन को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से जिला स्तरीय तकनीकी कार्यशाला का आयोजन जिला पंचायत संसाधन केंद्र अमृतधारा लाई में किया गया। कलेक्टर डी. राहुल वेंकट के दिशा-निर्देशन और जिला पंचायत सीईओ श्रीमती अंकिता सोम के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला में ग्राम पंचायत और सामुदायिक स्तर पर घरेलू गंदे पानी के वैज्ञानिक प्रबंधन को लेकर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।

IMG-20251210-WA0011 दूषित जल नियंत्रण के लिए जिला स्तर हुआ मैजिक पिट, सिल्ट चेंबर और लीच पिट पर दी गई विस्तृत जानकारी ।

*ग्रे वाटर, ब्लैक वाटर और येलो वाटर की दी गई विस्तृत जानकारी*

  • 65f57510-ab41-4bca-980f-e156c60b9f32 दूषित जल नियंत्रण के लिए जिला स्तर हुआ मैजिक पिट, सिल्ट चेंबर और लीच पिट पर दी गई विस्तृत जानकारी ।

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राज्य स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के राज्य सलाहकार रूपेश राठौर ने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को दूषित जल के प्रकारों को ग्रे वाटर, ब्लैक वाटर, येलो वाटर और कमर्शियल वेस्ट वॉटर की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा रोजाना उपयोग किए जाने वाले पानी में से लगभग 70 से 80 प्रतिशत पानी दूषित जल के रूप में बेकार बहाया जा रहा है, जिसे उचित तकनीकों से पुनरू उपयोग में लाया जा सकता है।

IMG-20251210-WA0010-1 दूषित जल नियंत्रण के लिए जिला स्तर हुआ मैजिक पिट, सिल्ट चेंबर और लीच पिट पर दी गई विस्तृत जानकारी ।

*सिल्ट चौंबर और लीच पिट का घरेलू स्तर पर समाधान*

रूपेश राठौर ने बताया कि घरों में सिल्ट चौंबर का निर्माण कर घरेलू दूषित पानी को फ़िल्टर कर किचन गार्डन के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है। इसके अलावा लीच पिट का निर्माण आवश्यक है, जिससे घरों से निकलने वाला भूरा पानी भूमि में सुरक्षित रूप से अवशोषित होकर पर्यावरण प्रदूषण को रोक सके।

 

*सामुदायिक स्तर पर ‘मैजिक पिट’कृगंदे पानी के जमाव का स्थायी समाधान*

कार्यशाला में यह भी चर्चा हुई कि गांवों में हैंडपंप, बोरिंग, सोलर टैंक और नालियों के पास गंदे पानी का जमाव बीमारियों का मुख्य कारण बन रहा है। ऐसी समस्याओं को रोकने के लिए समुदाय स्तर पर ‘मैजिक पिट’ का निर्माण करना अत्यंत आवश्यक है, जिससे दूषित जल का वैज्ञानिक निस्तारण हो सके और जलजमाव से होने वाली गंदगी तथा बीमारियों पर रोक लगे।

 

*तकनीकी, रासायनिक और जैविक तरीकों से जल प्रबंधन पर हुआ विस्तृत प्रशिक्षण*

दूषित जल प्रबंधन के लिए भौतिक (Physical), रासायनिक (Chemical) और बायोलॉजिकल (Biological) तकनीकों के उपयोग पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। राज्य सलाहकार पुरुषोत्तम पांडा ने कहा कि ओडीएफ प्लस मॉडल गांव के निर्माण के लिए दूषित जल के प्रबंधन पर गंभीरता से कार्य करना आवश्यक है। इसी दिशा में किया गया यह प्रयास स्वच्छ और सुजल गांव की अवधारणा को साकार करेगा।

 

*तकनीकी प्रस्तुति ने बढ़ाई समझ*

वाटर एड के तकनीकी विशेषज्ञ हर्ष मिश्रा ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से ग्रे वाटर स्ट्रक्चर के डिज़ाइन, निर्माण गुणवत्ता, स्थल चयन और जल की मात्रा के आंकलन जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसी भी संरचना के निर्माण से पहले स्थल और दूषित जल की मात्रा का सटीक आकलन अत्यंत जरूरी है, तभी संरचना प्रभावी और टिकाऊ साबित हो सकती है।

कार्यशाला में जिला समन्वयक, खंड स्वच्छता अधिकारी, तकनीकी सहायक, ब्लॉक समन्वयक तथा ग्राम पंचायत कुंवारी, देवगढ़, शिवपुर, बरदार, लाई और लुहारी के सरपंच एवं सचिव सहित सभी संबंधित अधिकारी मौजूद रहे। सभी प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला को उपयोगी और ग्राम स्तर पर जल प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया।

राकेश सिंह की रिपोर्ट

 

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