सच्चाई की धार बेईमानों का भ्रष्टाचारियों का कर देता है बुरा हाल।
सच्चाई की धार बेईमानों का भ्रष्टाचारियों का कर देता है बुरा हाल।
सच्चाई की धार बेईमानों का भ्रष्टाचारियों का कर देता है बुरा हाल।
आपको बता दे पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, लेकिन आज यह स्तंभ सत्ता और रसूख की आंधी में कई जगह डगमगाता नज़र आता है।
जब कुछ लोग सत्ता के इशारे पर खबरों को मोड़ देते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे भी पत्रकार हैं जो सच के रास्ते से एक इंच भी पीछे नहीं हटते।
हमारा मालिक सच है — सफ़ेदपोश नेता नहीं” — यह सिर्फ़ एक नारा नहीं, बल्कि उन पत्रकारों का जीवन सिद्धांत है, जो जनता की आवाज़ को बिना किसी डर या दबाव के सामने लाने का साहस रखते हैं।
ऐसे पत्रकार न तो विज्ञापनों की चकाचौंध में बिकते हैं, न ही राजनीतिक उपकार के बोझ तले दबते हैं।
कलम बिकती नहीं, डरती नहीं — इस सोच के साथ जमीनी सच्चाई दिखाने वाले पत्रकार समाज के असली प्रहरी हैं।
वे नशे के कारोबार, भ्रष्टाचार, घोटालों और जनता के शोषण के खिलाफ़ बिना डरे कलम चलाते हैं, चाहे इसके लिए उन्हें धमकियां झेलनी पड़े या अदालत के चक्कर लगाने पड़ें।
आज जब ‘चाटुकारिता’ को खबर और ‘पीआर’ को पत्रकारिता समझने वालों की संख्या बढ़ रही है, तब ऐसे स्वतंत्र पत्रकार लोकतंत्र की असली ताकत हैं।
इनकी कलम सिर्फ़ स्याही से नहीं, जनता के भरोसे और संघर्ष से चलती है।